वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-निकाय चुनावों को लेकर हाई कोर्ट के निर्णय पर निकाय चुनाव हुए तो नगर निगम और नगर पालिका व नगर पंचायतों का समीकरण बदल जाएगा। अभी तक नगर निगम की महापौर सीट ओबीसी के लिए आरक्षित मानी जा रही थी।अब जनरल हो सकती है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर फैसला दे दिया है। वहीं फैसले को लेकर मेरठ से पूर्व विधायक और मेयर पति योगेश वर्मा का कहना है कि नगर निकाय चुनाव के संबंध में आए निर्णय का वह स्वागत करते हैं। यह सही हुआ है। मेरठ में मेयर की सीट नियम अनुसार एससी होनी चाहिए थी और अब इसका रास्ता साफ हो गया है।
हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को रद्द करते हुए फौरन चुनाव कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार की दलीलों को नहीं माना। कोर्ट में सुनवाई चलते रहने के कारण राज्य निर्वाचन आयोग के अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने कहा है कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा। कोर्ट ने बिना आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने के निर्देश दिए।
नगर निकाय चुनाव के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकार के पाले में गेंद फेंकते हुए कहा है कि अगर सरकार चाहे तो ओबीसी आरक्षण बगैर निकाय चुनाव तत्काल करा सकती है।
न्यायालय के फैसले से यह तो स्पष्ट हो गया है कि पूर्व में सरकार द्वारा जारी किया गया नगर निकायों का आरक्षण अब पूरी तरह बदल जाएगा। अगर हम मेरठ नगर निगम की ही बात करें तो मेरठ नगर निगम महापौर की सीट ओबीसी के लिए आरक्षित बताई जा रही थी। लेकिन यदि अब ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव होता है तो यह सीट जनरल में जा सकती है। इसी प्रकार नगर निगम के 90 वार्डो का किया गया। आरक्षण भी नई व्यवस्था के साथ बदला नजर आएगा।
ओबीसी प्रत्याशियों की धरी रह जाएंगी तैयारियां
नगर निगम की महापौर सीट से लेकर वर्णों में पार्षद पद पर चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोकने वाले ओबीसी वर्ग के प्रत्याशियों को अब मायूसी हाथ लगेगी कई प्रत्याशियों को जहां घर बैठना पड़ेगा। वहीं उनकी सभी तैयारियों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। हाई कोर्ट के निर्णय ने नगर निगम ही नहीं, बल्कि नगर पालिका और नगर पंचायतों का चुनावी गणित ही बिगाड़ दिया है हालांकि हाईकोर्ट के निर्णय का सभी लोग स्वागत करने के लिए भी तैयार हैं।
बहुजन समाज पार्टी के जिला अध्यक्ष मोहित आनंद का कहना है कि हाई कोर्ट के निर्णय का स्वागत है लेकिन न्यायालय के निर्णय में क्या स्पष्ट है। इसकी जानकारी विधि विशेषज्ञों से बात करने के बाद ही पता चलेगी जिस प्रकार ओबीसी आरक्षण बगैर चुनाव करने का निर्णय लिया गया है। इससे लगता है कि मेरठ नगर निगम महापौर की सीट सामान्य कोटे में जाएगी।
आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष अंकुश चौधरी का कहना है कि हाई कोर्ट का जो निर्णय आया है वह अपनी जगह अलग स्थान रखता है लेकिन अगर सरकार एक बड़े वर्ग ओबीसी को नजरअंदाज करके निकाय चुनाव कराती है तो इसका खामियाजा भी सरकार को भुगतना पड़ेगा। लोकतंत्र में सभी के साथ होने से खूबसूरती होती है।
नगर निगम, निकाय चुनाव पर अदालत का फैसला, सरकार द्वारा हाई कोर्ट में जानबूझकर लचर पैरवी का नतीजा है, सरकार पिछड़ों को सत्ता में अधिकार देना नहीं चाहती और पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करना चाहती है। -राजपालसिह एडवोकेट- जिलाध्यक्ष निवर्तमान समाजवादी पार्टी